भारत के बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (आय. पी. ए. बी.) ने ग्लैक्सो स्मिथ क्लाइन कंपनी के स्तन कैंसर की दवा ‘टायकेर्ब’ के पेटेंट को रद्द कर दिया, हालांकि कंपनी ने दवा के सक्रिय औषधीय संघटक ‘लैपाटिनिब’ के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार की पुष्टि की है, रायटर के रिपोर्ट के अनुसार। जर्मन कंपनी फ्रेसेनियस ने पेटेंट को इसके मूल अणु और इसके विपणन योग्य संस्करण टायकेर्ब को नवीनता के अभाव के आधार पर चुनौती दी थी। इस निर्णय से भारत में बड़ी फार्मा कंपनियों को एक और झटका लगा है - हाल ही में नोवार्टिस, फाइजर, रोश और मर्क को दिये गये पेटेंट को नवीनता की कमी की वजह से अवैध करार कर दिया गया। तो किस प्रकार की नवीनता की भारत को जरूरत है? एक नए आवर्त सारणी की?